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बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी की गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की करारी हार को लेकर अखिलेश यादव पर सीधा हमला बोला है। उन्‍होंने कहा कि गोला में बीएसपी चुनावी मैदान में नहीं थी। अब सपा अपनी इस हार के लिए कौन सा बहाना बनाएगी? दरअसल, यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से ही बसपा और समाजवादी पार्टी के बीच वोटरों को संदेश देने की होड़ लगी है। इसमें समाजवादी पार्टी जहां बीएसपी पर बीजेपी से मिलीभगत कर जानबूझकर ऐसे उम्‍मीदवार देने का आरोप लगा रही है जो सपा कैंडिडेट को नुकसान और बीजेपी को फायदा पहुंचाएं तो वहीं बीएसपी कह रही है मुसलमानों के एकमुश्‍त सपा के पक्ष में जाने की वजह से यूपी चुनाव में हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो गया। इसी वजह से बीजेपी दोबारा बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब रही और बीएसपी को अब तक की सबसे बुरी हार (2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली है) का सामना करना पड़ा। 

मायावती की कोशिश वोटरों, खासकर मुस्लिम वोटरों को यह समझाने की है कि यूपी में बीएसपी ही वो पार्टी है जो बीजेपी को कोई हरा सकती है और सपा को वोट देने का कोई फायदा नहीं है। उधर, समाजवादी पार्टी लगातार बीएसपी को बीजेपी से मिलीभगत करने वाली पार्टी बता रही है। इस साल जून में आजमगढ़ संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की हार के बाद भी अखिलेश यादव ने बीएसपी को खासतौर पर जिम्‍मेदार ठहराया था। बता दें कि बसपा ने आजमगढ़ से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को उतारा था। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि बसपा जानबूझकर ऐसे प्रत्‍याशी खड़े करती है जिससे सपा के वोट बंट जाएं और बीजेपी को फायदा हो। 

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गोला गोकर्णनाथ उपचुनाव में बसपा और कांग्रेस ने अपने उम्‍मीदवार खड़े नहीं किए थे। पिछले चुनाव में यहां बीजेपी को 48.65 प्रतिशत, सपा को 37.40 प्रतिशत, बीएसपी को 10.37 प्रतिशत और कांग्रेस को 1.35 प्रतिशत वोट मिले थे। सपा को उम्‍मीद थी कि पिछली बार कांग्रेस और बीएसपी को वोट देने वाले ज्‍यादातर वोटर इस बार उसका साथ देंगे लेकिन छह नवम्‍बर को आए उपचुनाव के नतीजों ने इस सारे गणित पर पानी फेर दिया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 36 हजार कम लोगों ने मतदान किया।

इससे यह संकेत मिलता है कि बीएसपी और कांग्रेस के वोटर नहीं निकले और सपा के वोटरों ने भी पहले जैसा उत्‍साह नहीं दिखाया। बहरहाल, समाजवादी पार्टी गोला में अपनी हार की समीक्षा के साथ आगामी 5 दिसम्‍बर को मैनपुरी संसदीय सीट और रामपुर विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव की तैयारियों में जुट गई है। इधर, मायावती ने मैनपुरी चुनाव को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं।

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मायावती ने अपने पहले ट्वीट में लिखा-‘यूपी के खीरी का गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव भाजपा की जीत से ज्यादा सपा की 34,298 वोटों से करारी हार के लिए काफी चर्चाओं में है। बीएसपी जब अधिकांशतः उपचुनाव नहीं लड़ती है और यहाँ भी चुनाव मैदान में नहीं थी, तो अब सपा अपनी इस हार के लिए कौन सा नया बहाना बनाएगी?’ बसपा सुप्रीमो ने दूसरे ट्वीट में लिखा- ‘अब अगले महीने मैनपुरी लोकसभा व रामपुर विधानसभा के लिए उपचुनाव में, आजमगढ़ की तरह ही, सपा के सामने अपनी इन पुरानी सीटों को बचाने की चुनौती है। देखना होगा कि क्या सपा ये सीटें भाजपा को हराकर पुनः जीत पाएगी या फिर वह भाजपा को हराने में सक्षम नहीं है, यह पुनः साबित होगा।’ 



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