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गुजरात में बदलेगी सरकार या भारतीय जनता पार्टी का दबदबा रहेगा बरकरार? इसका जवाब 8 दिसंबर को मिल जाएगा। फिलहाल, राज्य में भाजपा की सरकार है और यह सिलसिला साल 1995 से टूटा नहीं है। 2022 में अगर भाजपा का विजय रथ जारी रहा, तो यह पार्टी की पश्चिमी राज्य में लगातार 7वीं जीत होगी। अब सवाल है कि कई अन्य दलों की मौजूदगी में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य भाजपा की पकड़ कैसे 27 साल बाद भी मजबूत बनी हुई है।

ये हो सकते हैं चार कारण

नरेंद्र मोदी कनेक्शन

साल 2001 में कच्छ क्षेत्र में आए भूकंप के बाद से ही तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षेत्र में जमकर काम किया। उन्होंने गुजरात और आर्थिक और तकनीकी रफ्तार बढ़ाई और निवेश के लिए वाइब्रेंट गुजरात समिट की शुरुआत की। जानकारों के अनुसार, मोदी को गुजरात की छवि बदलने का श्रेय दिया जाता है। वह लगातार तीन बार प्रदेश की कमान संभाल चुके हैं।

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गुजरात मॉडल

मोदी के सीएम रहते हुए गुजरात की जीडीपी ग्रोथ काफी ऊंचाई पर थी और अन्य राज्यों की तुलना में गुजरात ‘ईज ऑफ बिजनेस’ तालिकाओं में भी शीर्ष पर बना हुआ था। साल 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा ने गुजरात मॉडल का सहारा लिया। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी गुजरात में पार्टी ने 2017 में जीत दर्ज की। अब भाजपा केंद्र में सरकार के साथ ‘डबल इंजन सरकार’ की बात कर रही है।

चुनावी तैयारियां

कहा जाता है कि गुजरात में मतदाताओं से भाजपा का जुड़ाव है। साथ ही मजबूत संगठन मोदी की की लोकप्रियता को वोट में तब्दील कर देता है। दो दशकों से ज्यादा समय पार्टी ने अपना वोट शेयर बरकरार रखा है। वहीं, मौजूदा चुनाव में भी पीएम मोदी से लेकर देश के कई दिग्गज नेता मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं।

‘गुजरात अस्मिता’

पार्टी का नया नारा है ‘आ गुजरात, मैं बनायु छे’ और इसके साथ ही भाजपा ने प्रचार के दौरान ‘गुजराती अस्मिता’ का जिक्र छेड़ दिया है। साल 2017 में भी पीएम मोदी ने कांग्रेस की तरफ से उठाए गए GST और नोटबंदी के वार का सामना गुजरात अस्मिता और विकास के जरिए किया था। इधर, बीते चुनाव में पीएम मोदी की लगातार रैलियों के चलते भाजपा अन्य दलों के मुकाबले आगे रही। वहीं, रैलियों में मोदी और अमित शाह के गुजराती भाषण भी जनता से जुड़ाव में बड़ी भूमिका निभा गए।

गुजरात चुनाव कार्यक्रम

गुरुवार को आयोग ने चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इसके तहत राज्य की 182 सीटों वाली विधानसभा के लिए दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 89 सीटों पर वोटिंग 1 दिसंबर को होगी। जबकि, मतदाता दूसरे चरण में 93 सीटों पर 5 दिसंबर को वोट डालेंगे। मतगणना हिमाचल प्रदेश के साथ ही 8 दिसंबर को होगी। पहाड़ी राज्य में 12 नवंबर को मतदान होगा।



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