
Mainpuri By-Election 2022: डिंपल यादव, मैनपुरी संसदीय सीट से बतौर सपा उम्मीदवार आज अपना पर्चा भरेंगी। 5 दिसम्बर को होने जा रहे उपचुनाव में डिंपल के सामने विरासत को बचाने की चुनौती है तो बीजेपी के लिए कुछ नया कर दिखाने की। मुलायम के न रहने के बाद उपज रही सहानुभूति लहर और मौजूदा जातीय समीकरण। इसी चुनावी बिसात पर समाजवादी पार्टी और भाजपा दोनों की निगाहें हैं। जातीय गोलबंदी दोनों ओर से की जा रही है। आजमगढ़ और रामपुर खोने के बाद समाजवादी पार्टी के लिए अब मैनपुरी का गढ़ बचाने की चुनौती है। भाजपा जो आज तक नहीं कर पाई, वह इस बार करने की तैयारी में है। इसीलिए यहां सहानुभूति की लहर और जातीय समीकरणों को अपने पक्ष में करने की कोशिश के बीच मुकाबला है।
सपा को नेताजी की लोकप्रियता का फायदा सहानुभूति लहर के रूप में मिलने की उम्मीद है। पर भाजपा के रणनीतिकार भी दुगर्म सियासी दुर्गों को जीतने का कारनामा कर चुके हैं। ऐसे में सपा जिन समीकरणों के भरोसे सीट फतेह की उम्मीद में है, उसे अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा ने गुणाभाग शुरू कर दिया है। यहां सबसे ज्यादा वोट यादव बिरादरी के हैं। इनकी तादाद साढ़े चार लाख के करीब है। इसे लेकर सपा तो पूरी तरह मुतमईन है, पर शाक्य वोटों की तादाद भी उससे कुछ ही कम है। शाक्य वोट तीन लाख से अधिक हैं।
बसपा यूं तो उपचुनाव में दूर रहती है। पर बसपा ने आम चुनावों में मैनपुरी में अच्छे खासे वोट बटोंरे हैं। कई बार उसने शाक्य बिरादरी का प्रत्याशी मैदान में उतारा और दलित वोट भी उसे मिले। और बसपा कई चुनावों में तीसरे नंबर पर रही है। मुस्लिम वोटर यहां 50 से 60 हजार ही हैं। ऐसे में यहां धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण होने की गुंजाइश नहीं बन पाती है।
भाजपा को सवर्ण जातियों के वोट मिलने की उम्मीद
भाजपा को यहां ब्राह्मण, ठाकुर , वैश्य व अन्य सवर्ण जातियों के वोट मिलने की उम्मीद है तो सपा को यादव वोट। लड़ाई तो शाक्य वोटों क लिए भी है। फिर यहां, बघेल काछी, लोध, पाल, गड़ेरिया, कहार जातियां भी हैं। यहां गड़ेरिया समुदाय का व्यक्ति सांसद बन चुका है। वर्ष 1957 के चुनाव में प्रसपा से जीते वंशीधर छांगर इसी बिरादरी के थे। दलित वोटों की तादाद भी यहां अच्छी खासी है। इन जातियों को अपने पक्ष में गोलबंद कराने की रणनीति दोनों ओर बनाई जा रही है।
यादव बनाम अन्य
भाजपा लंबे समय से यह सीट जीतने की कोशिश कर रही है। इधर, के चुनावों में भाजपा नंबर दो पर आती रही है और सपा व भाजपा का अंतर कम होता जा रहा है। यहीं नहीं इस लोकसभा चुनाव में आने वाली पांच सीटों में इस बार भाजपा ने दो पर कब्जा किया। यही से जीते विधायक जयवीर सिंह को प्रदेश सरकार में मंत्री भी बनाया। भाजपा की कोशिश यहां यादव बनाम अन्य जातियों के गोलबंदी की है।
मुलायम को नमन कर नामांकन करेंगी डिंपल
कन्नौज से सांसद रह चुकी डिंपल यादव अब नई सीट मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सोमवार को नामांकन पत्र भरेंगी। इसी के साथ ही वह मुलायम सिंह यादव की विरासत के भरोसे अपने प्रचार अभियान का आगाज करेंगी। नामांकन से पहले डिंपल यादव अपने ससुर मुलायम सिंह यादव की समाधि पर पुष्पाजंलि अर्पित कर उन्हें याद करेंगी। उनका नामांकन अभियान पूरी तरह सादगीपूर्ण होगा। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव परिवार समेत शनिवार को ही सैफई पहुंच गए थे।
मुलायम के प्रति भाजपा दिखाती रही सद्भभावना
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मुलायम सिंह यादव के प्रति सद्भावना दिखाता रहा है। मुलायम के न रहने पर भाजपा नेतृत्व ने उनके प्रति पूरा सम्मान प्रदर्शित किया। प्रदेश सरकार ने तीन दिन का राजकीय शेक घोषित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने याद किया कि किस तरह मुलायम ने दुबारा भाजपा सरकार बनने का आशीर्वाद दिया था। भाजपा की कोशिश है मुलायम के पक्ष में सहानुभूति की लहर में उसे भी कुछ फायदा हो जाए।