फिल्म ‘उजड़ा चमन’ से निर्देशन में डेब्यू करने वाले अभिषेक पाठक को इस बार सुपरहिट फिल्म ‘दृश्यम’ की सीक्वल ‘दृश्यम 2’ के निर्देशन की जिम्मेदारी मिली है। फिल्म ‘दृश्यम’ के निर्देशक निशिकांत कामत के साथ काम करने के अपने अनुभवों, अजय देवगन के सामने ही बड़े होकर अब उनको ही निर्देशित करने के मिले मौके और मूल मलयालम फिल्म ‘दृश्यम 2’ के ओटीटी पर रिलीज हो जाने के बावजूद हिंदी में इसे सिनेमाघरों तक नए अंदाज में पहुंचाने की चुनौतियों के बारे में अभिषेक ने ‘अमर उजाला’ के साथ ये खास बातचीत की। फिल्म ‘दृश्यम 2’ की कहानी में इस बार अक्षय खन्ना की एक नए किरदार के रूप में एंट्री भी हो रही है।

‘दृश्यम’ का निर्देशन निशिकांत कामत ने किया। अब इसके सीक्वल की जिम्मेदारी आप पर है। निशिकांत के साथ काम करने की कुछ यादें साझा करना चाहेंगे?

निशिकांत कामत का यूं दुनिया छोड़ जाना बहुत ही दुखद है। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब हम उन्हें याद न करते हों। वह बहुत ही शांत स्वभाव के इंसान थे और बिना किसी शोर शराबे के काम करने में यकीन करते थे। यह बात खास तौर पर मैंने निशिकांत से सीखी। शूटिंग के बीच में फुर्सत होने पर हम बातें करते तो उसमे भी उनका फोकस काम पर ही रहता था। उस समय ऐसा सोचा नहीं था कि एक दिन ऐसा भी समय आएगा जब मुझे ‘दृश्यम 2’ का निर्देशन करना पड़ेगा।

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और, ये कब लगा कि ‘दृश्यम’ का सीक्वल हिंदी में भी बनाना ही चाहिए?

‘दृश्यम’ एक बहुत ही अच्छा ब्रांड बन गया है। इसे मूल रूप से मलयालम में बनाने वाली कंपनी आशीर्वाद सिनेमा ने इसके सीक्वल की पहल की और जब उन्होंने इसकी सीक्वल मलयालम में बनाई तो उन्होंने हमें इसे देखने के लिए बुलाया। हम तो इसके लिए पहले से मन बनाए बैठे थे। बस, फिल्म की आधिकारिक रीमेक बनाने के अधिकार खरीदकर हमने काम शुरू कर दिया। और, तब मेरे पिता कुमार मंगत ने कहा कि इसे मुझे ही निर्देशित करना चाहिए क्योंकि इसके पहले वाली फिल्म के निर्माण के दौरान मेरा फिल्म से शुरू से लेकर रिलीज के बाद तक का नाता रहा है। रीमेक को लेकर मेरा नजरिया ये था कि इसे हू ब हू वैसा ही नहीं बनाना है, इसलिए मैंने इसमें कुछ तत्व अलग से जोड़े हैं।

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दक्षिण भारतीय फिल्मों की रीमेक का इस साल बहुत अच्छा प्रतिसाद नहीं मिला है, ऐसे में दबाव तो आप पर भी होगा?

अगर रीमेक को सही तरीके से बनाया जाए तो लोग उसे जरूर पसंद करेंगे। जिन रीमेक फिल्मों की तरफ आपका इशारा है, उनमें से अधिकतर के हिंदी संस्करण डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं। ‘दृश्यम 2’ अभी हिंदी में डब होकर कहीं भी मौजूद नहीं है। हमने मलयालम फिल्म के अधिकार लेकर इसे सीधे उसकी नकल नहीं कर दी है। हमने इसको अपने हिसाब से बनाया है।

और, अजय देवगन को निर्देशित करना कितना चुनौती भरा रहा?

मैं कहूंगा कि उन्हें निर्देशित करना कोई चुनौती नहीं रही। उनको मैं बचपन से जानता हूं। ‘ओंकारा’ में निर्माण सहायक के रूप में शुरुआथ करने से लेकर अब तक मेरी कोई डेढ़ दशक की सिनेयात्रा रही है। पहले मैंने ‘दृश्यम 2’ की हिंदी पटकथा तैयार की और उसे लेकर अजय भाई के पास गया तो वह काफी उत्साहित दिखे। हां, शूटिंग के पहले दिन मैं नर्वस था और उसके पहले वाली पूरी रात मैं सो नहीं पाया। यह मेरे लिए बहुत बड़ी फिल्म है। लेकिन फिर धीरे धीरे सब सामान्य होता गया। सबको फिल्म की पटकथा में भरोसा था और सबको यही लगा कि हम एक अच्छी फिल्म बना रहे हैं।

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