यमुना सफाई के दावों की पोल उसमें तैरते झाग ने खोल दी है। आलम ये है कि छठ पर यमुना का रुख करने वाले व्रती नदी के जल का अर्घ्य देना तो दूर उसमें उतरने के लिए जगह तलाश रहे हैं। इस मुद्दे पर सियासी जंग भी तेज हो गई है। आरोप-प्रत्यारोप के बीच आम आदमी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हैरानी की बात ये है कि इस विषाक्त झाग को खत्म करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड यमुना में रसायनिक स्प्रे का छिड़काव करा रही है। शुक्रवार के बाद शनिवार को भी कालिंदी कुंज इलाके में दिल्ली जल बोर्ड की टीमें नाव से रासायनिक स्प्रे को छिड़काव करती नजर आई।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्ल्यूनल (एनजीटी) की मॉनीटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, 1370 किमी लंबी यमुना नदी का करीब 54 किमी हिस्सा दिल्ली के पल्ला से कालिंदी के बीच से गुजरता है। इसके वजीराबाद से कालिंदी कुंज के बीच यमुना की लंबाई 22 किमी है। यह पूरी नदी की लंबाई का सिर्फ दो फीसदी बैठता है, लेकिन यमुना का करीब 76 फीसदी प्रदूषण इसी हिस्से में होता है।
मानसून के अलावा साल के नौ महीनों में नदी में ताजा पानी नहीं रहता। नदी दिल्ली के 22 नालों के शोधित व अशोधित सीवेज को लेकर आगे बढ़ती है।
उधर, भाजपा लगातार आम आदमी पार्टी की सरकार पर हमलावार है। उधर, जुबानी जंग से आगे बढ़ाते हुए शुक्रवार को भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी से बदसलूकी कर डाली। मसले से जुड़े एक वीडियो में वह अधिकारी को ‘बेशर्म, घटिया आदमी’ कहते हुए दिखते हैं। दूसरी तरफ मौके पर मौजूद आम लोगों ने भाजपा सांसद पर सवालों के तीर चलाए।
यमुना नदी की सतह पर तैरते झाग को खत्म करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अधिकारियों द्वारा नदी के पानी की सतह पर केमिकल के छिड़काव किया जा रहा है। शुक्रवार को जब प्रवेश वर्मा को यह बात पता चली तो वह अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ एक घाट पर पहुंच गए। सांसद पर आरोप है कि उन्होंने अधिकारियों को धमकाते हुए तू-तड़ाक की भाषा में बात की और काम रोकने को कहा।