मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का कार्यभार आज संभाल लिया। 24 साल बाद कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर का कोई अध्यक्ष मिला है। एक के बाद एक चुनावों में मिल रही हार और लगातार घटते जनाधार के बीच अध्यक्ष बने खरगे के आगे कई चुनौतियां हैं। 

अब ये देखना होगा कि खरगे के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस को कितना फायदा मिलेगा? कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालते ही खरगे ने अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। सियासी जानकारों का कहना है कि अगर खरगे इसमें सफल हुए तो कांग्रेस में नई जान आ सकती है। आइए जानते हैं खरगे की रणनीति और उसपर कैसे वो काम कर रहे हैं? 

 

खरगे की रणनीति

कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के एक नेता से हमने इस मसले पर बात की। उन्होंने कहा, ‘हमने अपनी गलतियों से सीख ली है और अब आगे बढ़ रहे हैं। हमारे नेता राहुल गांधी के साथ-साथ पार्टी के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी कांग्रेस को एक नया रूप देने जा रहे हैं।’

कांग्रेस नेता आगे कहते हैं, ‘राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा काफी सफल है। जिस तरह से राहुल गांधी और कांग्रेस को लोगों का प्यार मिल रहा है, उससे साफ है कि आने वाले समय में कांग्रेस का प्रदर्शन न केवल बेहतर होगा बल्कि हमें सफलता भी मिलेगी।’

कांग्रेस नेता कहते हैं, ‘राहुल गांधी से इतर मल्लिकार्जुन खरगे नए मिशन की तरफ आगे बढ़ेंगे। दक्षिण भारत के दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाले खरगे देशभर में दलितों, पिछड़ों, गरीबों, किसानों, अल्पसंख्यकों की लड़ाई लड़ेंगे।’ कांग्रेस नेता के अनुसार, खरगे इस दौरान दो वर्ग को खासतौर पर पार्टी से जोड़ने का काम करेंगे। 

 

1. दलित : खरगे खुद भी दलित हैं। ऐसे में वह बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष देशभर के दलित, आदिवासी, महादलित, बौद्ध वर्ग को कांग्रेस से जोड़ने का काम करेंगे। देश की करीब 25 फीसदी से ज्यादा आबादी एससी-एसटी वर्ग में आती है। अगर ये कांग्रेस के साथ जुड़ जाते हैं तो 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा फायदा हो सकता है।  

 

2. अल्पसंख्यक : दलित वोटर के साथ खरगे अल्पसंख्यक वर्ग को भी पार्टी से जोड़ने का काम करेंगे। इसमें सबसे ज्यादा फोकस मुसलमानों और सिखों पर होगा। राष्ट्रीय स्तर पर दलित-मुस्लिम गठजोड़ बनता है तो कांग्रेस को फायदा मिलेगा। खरगे मुस्लिम वोटर्स को ये समझाने की कोशिश करेंगे कि देश में अकेले कांग्रेस ही भाजपा का मुकाबला कर सकती है। ऐसे में दलित और मुसलमान मिलकर भाजपा के विजय रथ को रोक सकते हैं। 

 

दो साल में 19 राज्यों के चुनाव, लोकसभा के लिए भी पड़ेंगे वोट

अगले दो साल में मल्लिकार्जुन खरगे के सामने 19 राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनाव की बड़ी चुनौती होगी। इनमें वो राजस्थान भी है, जहां अभी कांग्रेस की सरकार है। इस सरकार को बचाने की चुनौती भी खरगे के कंधों पर होगी। इसके साथ-साथ खरगे के गृह राज्य कर्नाटक में भी विधानसभा चुनाव होना है। ये चुनाव कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। इन्हीं चुनावों के जरिए खरगे की परफॉरमेंस का आंकलन होगा। इसी से पार्टी और पार्टी के बाहर उनकी काबिलियत परखी जाएगी।

 

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