

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (फाइल फोटो)
– फोटो : twitter/KremlinRussia_E
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रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है, पिछले कई महीनों से जमीन पर स्थिति विस्फोटक बनी हुई है। हालात ऐसे हैं कि कोई भी देश झुकने को तैयार नहीं है। इस सब के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ऐसी धमकियां सामने आईं जिन्होंने परमाणु हमले की आशंका को बढ़ा दिया। लेकिन अब पुतिन ने उन अटकलों पर खुद ही विराम लगाने का काम किया है। उनकी तरफ से एक बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि यूक्रेन पर परमाणु हमला नहीं किया जाएगा, ऐसी कोई तैयारी नहीं है। वहीं उनकी तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देशभक्त कहा गया है। ऐसे में एक तरफ उन्होंने यूक्रेन पर अपना रुख स्पष्ट किया, वहीं दूसरी तरफ भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की जमकर तारीफ की।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को कहा कि हम अमेरिका के साथ रणनीतिक स्थिरता पर बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं। लेकिन हमें उस पर अमेरिका की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच रूसी पुतिन ने पश्चिमी देशों को ‘खतरनाक, खूनी और गंदे’ भू-राजनीतिक खेल करने के लिए लताड़ा। पुतिन ने कहा कि आखिर में अमेरिका और उसके सहयोगियों को रूस से बात करनी ही पड़ेगी।
पुतिन ने की पीएम मोदी की तारीफ
पुतिन ने एक तरफ बाइडेन पर सवाल दागे तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि मोदी एक बड़े देशभक्त हैं। भारत की एक स्वतंत्र विदेश नीति रही है और रूस के हमेशा से ही खास संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी मुश्किलों से निपटने में सक्षम हैं। भारत में शानदार आर्थिक विकास की तारीफ करते हुए कहा कि पीएम मोदी की विदेशी नीति स्वतंत्र है।
भविष्य भारत का है: पुतिन
पुतिन ने वार्षिक वल्दाई चर्चा के दौरान कहा कि भारत ने ब्रिटिश उपनिवेश से आधुनिक राज्य बनने तक अपने विकास में जबरदस्त प्रगति की है। लगभग 1.5 अरब लोग और मूर्त विकास परिणाम भारत के लिए सभी के सम्मान और प्रशंसा का कारण हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में बहुत कुछ किया गया है। वह अपने देश के देशभक्त हैं। ‘मेक इन इंडिया’ का उनका विचार आर्थिक और नैतिकता दोनों में मायने रखता है। भविष्य भारत का है, इस पर गर्व हो सकता है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
उन्होंने कहा कि भारत के साथ हमारे विशेष संबंध हैं। हमारे बीच कभी कोई मुश्किल मुद्दा नहीं रहा और हमने हमेशा एक-दूसरे का समर्थन किया और अभी भी यही हो रहा है। मुझे यकीन है कि यह भविष्य में भी होगा। दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ रहा है, हमने व्यापार की मात्रा बढ़ाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने मुझसे उर्वरक की आपूर्ति बढ़ाने की मांग की थी, जो भारतीय कृषि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। और हमने ऐसा किया भी है। हमने 7.6 गुणा तक इसको बढ़ाया है। कृषि में व्यापार लगभग दोगुना हो गया है।
पुतिन ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के उन लोगों में से एक हैं जो अपने देश के हित में स्वतंत्र विदेश नीति का संचालन करने में सक्षम हैं। कुछ के रोकने या कुछ सीमित करने के किसी भी प्रयास के बावजूद वह भारत को भारतीय लोगों के लिए आवश्यक दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं। मुझे यकीन है कि भारत का भविष्य उज्जवल है और भारत की भूमिका वैश्विक मामलों में बढ़ रही है।
अमेरिका ने युद्ध को भड़काने का काम किया?
पुतिन ने यूक्रेन पर नरम रुख की बात की है, उनकी तरफ से पश्चिमी देशों पर ही यूक्रेन को भड़काने का आरोप लगाया गया है। कहा गया है कि पश्चिमी देशों ने अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए यूक्रेन को उकसाया। युद्ध के शुरुआती दिनों में भी पुतिन का अमेरिका को लेकर यही रुख देखने को मिला था। ऐसे में ये एक ऐसा स्टैंड है जो इतने महीनों बाद में नहीं बदला है। अब तो एक कदम आगे बढ़कर पुतिन यहां तक कह रहे हैं कि वे अमेरिका से बात करने को तैयार हैं, सामरिक स्थिरता पर वार्ता करने की इच्छा रखते हैं। लेकिन आरोप ये है कि अमेरिका अपनी तरफ से कोई जवाब नहीं दे रहा है, वो इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुतिन ने वल्दाई डिस्क्शन क्लब को बताया कि दुनियाभर में सत्ता में वही है, जिन्हें पश्चिम ने अपने खेल की पंक्ति में डाल दिया है। लेकिन मैं इसे खतरनाक, खूनी और गंदा खेल कहूंगा। हवा में जहर बोने वाला, इसके तूफान का सामना करेगा। पुतिन ने कहा, मैंने हमेशा कॉमन सेन्स में भरोसा किया है, इसलिए मैं आश्वस्त हूं कि देर-सबेर बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था के नए केंद्रों और पश्चिम को हमारे द्वारा साझा किए जाने भविष्य की योजना पर समान रूप से बातचीत शुरू करनी होगी। जितना जल्दी हो बेहतर होगा।
पुतिन ने कहा, उपनिवेशवाद से अंधे पश्चिम ने यूक्रेन में संघर्ष को भड़काने में मदद की। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिमी देशों ने वैश्विक प्रभुत्व कायम करने के लिए ताइवान में भी संकट पैदा करने की कोशिश की। रूस ने इसी साल 24 फरवरी को यूक्रेन में सैनिकों को भेजा था। इससे पहले भी 1962 में सोवियत संघ और अमेरिका परमाणु युद्ध के तब करीब आ गए थे, जब क्यूबा मिसाइल संकट सामने आया था।
पुतिन ने रूसी नेता अलेक्जेंडर सोल्झेनित्सिन के 1978 के हार्वर्ड व्याख्यान का हवाला देते हुए कहा कि पश्चिम खुले तौर पर नस्लवादी है और दुनिया के अन्य लोगों को नीचा दिखाता है। उन्होंने आगे कहा, पश्चिमी देशों पर भरोसा करना एक बहुत ही खतरनाक स्थिति है। रूस कभी भी पश्चिम की इस बात को स्वीकार नहीं करेगा कि उसे क्या काम करना है। पश्चिम की तरह हम दूसरों के बाड़े में नहीं जाते।